लोकशाही,अभिव्यक्ति-स्वातंत्र्य और सेना
नमस्ते !
मेरे दादा मानिकचंद लोढ़ा भारत के स्वातंत्र के पहले की बात कहते तो बताते थे की ब्रिटिश सरकार का कोई अफ़्सर गली से गुजरता हो तो पूरा माहौल शांत हो जाता था और कोई अफ़्सर के आगे आकर उनके खिलाफ जाने की हिम्मत जल्दी करता नहीं था ।
दर्द होता है अब हम पढ़ते और देखते है की कश्मीर में लोग हमारे अपने ही भारतीय सैनिकों पर पत्थर फेकते है और उन्हें एक तो शान्ति बरतनी पढ़ती है या फिर गैस या छर्रे से लोगो को जवाब देना पढता है। पुरे भारत से गिने चुने लोग तो लोकशाही में फ्रीडम ऑफ़ स्पीच या बात करने की मुक्तता को इस हद तक इस्तेमाल कर रहे है की उन्हें हमारे जवानों का अपमान या किसी भी व्यक्ति को ठेस पोहचाने की पूरी इजाजत मिल गयी हो।
मुझे पूरा भरोसा है की अगर भारतीय सरकार चाहे तो ठोस कदम उठाकर भारतीय सैनिकों की मदद से पूरी तरह से कश्मीर में जीवन स्थिर कर सकती है, सरकार ने कुछ नजदीक के सालों में यह दिखा दिया है की अगर वे मन बनाये तो चीज़े हो रही है। वह फिर नोटबंदी हो या फिर जि.अस.टी लागू करने की बात हो। मेरे जैसे कहीं लोग चाहते है की अलगाववादीयों को दी गयी सिक्योरिटी और सुविधाएं निकाल कर उन्हें कडी सजा दी जाए। मै नहीं जानता के सरकार को यह चीज़ करने में कठनाई क्या हो सकती हे पर आशा करते है की वे यह करें।
ब्रिटिश के प्रधानमंत्री थेरेसा मे ने कहा है की यु.के दहशदवादका सामना और उसे खत्म करने के लिए अपने मानवाधिकार (ह्यूमन राइट्स) के कानून बदलेगा, भारतभी अपने कानून को बदलके स्तिथियों को बदलेगा ऐसी उम्मीद है।
मुझे लगता है की पाठशाला में सोशल मीडिया के इस्तेमाल का प्रशिक्षण होना चाहिए जिससे की लोग अपनी मर्यादा समझे और उसका फायदा अपनी खुद की जिंदगी बेहतर बनाने के लिए हो।
कई लोग सोशल मीडिया पर यह मांग करते थे की हम सेना को प्रत्यक्ष /डायरेक्ट रूप से पैसे पहुंचाकर उनकी हो सके उतनी साहयता करे और उनका उत्साह बढ़ाये। बहोत खुश हूँ के सरकार ने अब आगे दिए हुए वेबसाइट पर यह सुविधा उपलब्ध करायी है। मैने उसका ईस्तमाल किया है , काफी अच्छी और सिधि प्रक्रिया है। https://bharatkeveer.gov.in/index.php
जय हिन्द। जय भारत।
मेरे दादा मानिकचंद लोढ़ा भारत के स्वातंत्र के पहले की बात कहते तो बताते थे की ब्रिटिश सरकार का कोई अफ़्सर गली से गुजरता हो तो पूरा माहौल शांत हो जाता था और कोई अफ़्सर के आगे आकर उनके खिलाफ जाने की हिम्मत जल्दी करता नहीं था ।
दर्द होता है अब हम पढ़ते और देखते है की कश्मीर में लोग हमारे अपने ही भारतीय सैनिकों पर पत्थर फेकते है और उन्हें एक तो शान्ति बरतनी पढ़ती है या फिर गैस या छर्रे से लोगो को जवाब देना पढता है। पुरे भारत से गिने चुने लोग तो लोकशाही में फ्रीडम ऑफ़ स्पीच या बात करने की मुक्तता को इस हद तक इस्तेमाल कर रहे है की उन्हें हमारे जवानों का अपमान या किसी भी व्यक्ति को ठेस पोहचाने की पूरी इजाजत मिल गयी हो।
मुझे पूरा भरोसा है की अगर भारतीय सरकार चाहे तो ठोस कदम उठाकर भारतीय सैनिकों की मदद से पूरी तरह से कश्मीर में जीवन स्थिर कर सकती है, सरकार ने कुछ नजदीक के सालों में यह दिखा दिया है की अगर वे मन बनाये तो चीज़े हो रही है। वह फिर नोटबंदी हो या फिर जि.अस.टी लागू करने की बात हो। मेरे जैसे कहीं लोग चाहते है की अलगाववादीयों को दी गयी सिक्योरिटी और सुविधाएं निकाल कर उन्हें कडी सजा दी जाए। मै नहीं जानता के सरकार को यह चीज़ करने में कठनाई क्या हो सकती हे पर आशा करते है की वे यह करें।
ब्रिटिश के प्रधानमंत्री थेरेसा मे ने कहा है की यु.के दहशदवादका सामना और उसे खत्म करने के लिए अपने मानवाधिकार (ह्यूमन राइट्स) के कानून बदलेगा, भारतभी अपने कानून को बदलके स्तिथियों को बदलेगा ऐसी उम्मीद है।
मुझे लगता है की पाठशाला में सोशल मीडिया के इस्तेमाल का प्रशिक्षण होना चाहिए जिससे की लोग अपनी मर्यादा समझे और उसका फायदा अपनी खुद की जिंदगी बेहतर बनाने के लिए हो।
कई लोग सोशल मीडिया पर यह मांग करते थे की हम सेना को प्रत्यक्ष /डायरेक्ट रूप से पैसे पहुंचाकर उनकी हो सके उतनी साहयता करे और उनका उत्साह बढ़ाये। बहोत खुश हूँ के सरकार ने अब आगे दिए हुए वेबसाइट पर यह सुविधा उपलब्ध करायी है। मैने उसका ईस्तमाल किया है , काफी अच्छी और सिधि प्रक्रिया है। https://bharatkeveer.gov.in/index.php
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